देवली के समीप कूंचलवाड़ा रोड जैन कॉलोनी में चल रहे पंचकल्याणक एवं नवीन वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव के गर्भ एवं जन्मकल्याणक महोत्सव की धर्मसभा में मुनि सुप्रभ सागर ने कहा कि मां की कोख से जन्म बाद तक मिले संस्कारों से आत्मा भी परमात्मा बन सकती है तथा भगवान रूप ही तीन लोक में सभी जीवों का कल्याण के लिए होता है।
उन्होंने कहा कि जन्म के साथ संतान को संस्कारित करना महत्वपूर्ण है। संस्कार देने में माताओं का बड़ा हाथ होता है। गणिनी आर्यिका स्वस्तिभूषण माताजी ने कहा कि जन्मकल्याणक भगवान का मनाया जाता है जबकि जयंती महापुरुषों की मनाई जाती है। उन्होंने कहा अनंत पापों का नाश भक्ति के माध्यम से हो जाता है। पंचकल्याण में शुक्रवार को जन्म कल्याणक में प्रातः जाप, आराधना, अभिषेक, शांतिधारा, नित्य पूजन, गर्भ कल्याणक की पूजन, तीर्थंकर बालक का जन्म, तीर्थंकर बालक का जन्मोत्सव व बधाईयां, सौधर्म इंद्र को शच्ची इंद्राणी द्वारा प्रथम दर्शन, मुनि श्री की दिव्य देशना, इंद्राणी को प्रथम दर्शन, जन्मकल्याणक जुलूस, पांडुशिला का जन्म अभिषेक की क्रियाएं हुई। दोपहर में तीर्थंकर बालक पारस कुमार का श्रृंगार किया गया। शाम को आरती, शास्त्रसभा, रात्रि को आनंदोत्सव, बालक को पालना व बाल क्रीड़ा रहेगी।
तप व ज्ञान कल्याणक में दिव्य देशना, दीक्षा विधि 5 को- पंचकल्याणक के तीसरे दिन शनिवार को तप व ज्ञान कल्याणक मनाया जाएगा। जिसमे प्रातः जाप्यानुष्ठान, आराधना, अभिषेक व शांतिधारा के बाद जन्म कल्याणक पूजन, हवन, कमठ द्वारा उपसर्ग एवं यक्ष का दिव्य देशना, लौकांतिक देवों द्वारा स्वटन, दीक्षा विधि, अंकन्यास संस्कार रोपण, तिलकदान एवं अन्य क्रियाएं प्राण प्रतिष्ठा, दिव्य देशना, आहार चर्या, दोपहर में मंगलकारक जाप, आराधना, अधिवासना, सूर्य मंत्र, केवलज्ञान समोशरण रचना, मुनिराज की देशना व सांय आरती, शास्त्र प्रवचन होंगे।
जैन मंदिर पंचकल्याणक एवं नवीन वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव, तीर्थंकर बालक का जन्मोत्सव मनाया

