देवली के अटल उद्यान स्थित टीन शेड प्लेटफार्म पर चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक प्रिया किशोरी ने कहा कि भगवान भाव के भूखे हैं छप्पन भोग के नहीं। साध्वी ने कहा कि कृष्ण भगवान जब हस्तिनापुर पहुंचे, तब दुर्याेधन ने उनके लिए 56 भोग तैयार करवाए लेकिन भगवान ने विदुर काका के घर पहुंच कर विदुरानी के हाथ से केले के छिलके खाये।
इससे पूर्व साध्वी ने भोले बाबा द्वारा पार्वती को सुनाई गई तथा अमर कथा के बारे में विस्तार से बताया। शिव बाबा द्वारा पार्वती को जिस गुफा में अमर कथा सुनाई गई, आज उसी गुफा को अमरनाथ गुफा कहते हैं। सुखदेव जी महाराज की जन्म का वृतांत सुनाया। तत्पश्चात महाभारत के अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु व उत्तरा के पुत्र राजा परीक्षित की कथा सुनाई। कथा में बताया कि अश्वत्थामा द्वारा गर्भस्थ शिशु पर ब्रह्मास्त्र चलाया गया लेकिन कृष्ण ने रक्षा की। वही बालक कालांतर में राजा परीक्षित बने। राजा परीक्षित का हीरावती के साथ विवाह, जन्मेजय जैसे चार पुत्र, जंगल में कलयुग का मिलना। कलयुग द्वारा रहने का स्थान मांगना। शुकदेव जी कहते हैं कि कलयुग झूठ, पाप की कमाई, सोने में रहता हैं, मांस मदिरा खाने वाले तथा ताशपत्ती खेलने वाले के सिर पर कलयुग सवार होता है। कलयुग सूक्ष्म रूप धरकर राजा परीक्षित के सिर पर बेइमानी की कमाई से अर्जित सोने के मुकुट में प्रवेश कर जाता है। राजा की बुद्धि खराब हो जाती है ओर परिक्षित ने मरा हुआ सर्प शमीक ऋषि के गले में डाल देते हैं। शमीक ऋषि के पुत्र श्रंगी ने क्रोधित होकर राजा परीक्षित को श्राप दे दिया कि आपको सात दिन में तक्षक सर्प डस लेगा। राजा परीक्षित को श्राप का पता चलते ही वह अपने पुत्र को राजपाट सौंप कर जंगल चले जाते हैं। जंगल में सुखदेवजी ने राजा परीक्षित को 7 दिन तक भागवत सुनाई जिससे परीक्षित का मोक्ष हुआ तत्पश्चात कथा में मार्कंडेय पुराण के अनुसार गंधर्व राज विश्वावसु की पुत्री मदालसा और रितु ध्वज की कथा सुनाई। कथा का समापन आरती व प्रसाद वितरण के साथ हुआ।