शिरोमणि आचार्य 108 विशुद्ध सागर महाराज के युगल शिष्य मुनि 108 अनुपम सागर महाराज एवं श्रमण मुनि 108 यतीन्द्र सागर महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए दान की महिमा बताई।
उन्होने बताया कि आहार दान, औषध दान, ज्ञान दान, अभय दान में से सर्वश्रेष्ठ आहार दान है। ओमप्रकाश जैन (टोरडी) ने बताया कि युगल मुनिराज ने जीवन जीने की कला एवं क्रोध पर नियंत्रण की विधि भी सिखाई। मुनि ने बताया कि हमे सदैव शुद्ध शाकाहरी भोजन करना चाहिए, क्रोध आने पर पहले 2 मिनिट सोचकर फिर उस पर प्रतिकिर्या देनी चाहिए। युवा परिषद प्रवक्ता विकास जैन (टोरडी) ने बताया कि मुनि संघ ने बुधवार को देवली से जहाजपुर के लिए विहार किया।