पटेल नगर देवली में स्थित शिवालय मंदिर में सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा में आज तृतीय दिवस की कथा प्रसंग में परम पूज्य गुरुदेव कृष्ण बिहारी महाराज ने अजामिल उपाख्यान में बताया कि जप नाम से अजामिल जैसे पापी भी भगवान के चरणों के अनुरागी बनते है। प्रहलाद चरित्र, समुद्र मंथन, वामन अवतार, मत्स्य अवतार और राम जन्म उत्सव के कथा प्रसंगो को श्रोताओं को सुनाया।
महाराज ने बताया जिन मनुष्य ने जिंदगी में दुखों की ठोकर खाली होती है वह फिर दुखों से नहीं घबराते हैं सुख और दुख तो जीवन के पहलू है जो आते हैं और चले जाते हैं। रोटियां बनाने के भाव अनेक प्रकार के होते हैं पहले मां की हाथ की रोटी जिसमें ममता और वात्सल्य होता है पेट भी भरता है पर मन नहीं भरता। दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और समर्पण भाव होता है जिससे पेट और मन दोनों भर जाते हैं तीसरी रोटी बहू के हाथों की होती है जिसमें सिर्फ कर्तव्य का भाव होता है कुछ कुछ स्वाद भी और पेट भी भर देती है। बहू वृद्धाश्रम की परेशानियों से बचाती है बाकी अन्य लोगो की रोटी के भाव अलग होते है जिससे ना तो पेट भरता है ना ही मन भरता है। केवल शरीर की आवश्यकता के अनुसार भोजन किया जाता है। आज के समय में सास और बहू को मां और बेटी की तरह रहना चाहिए। परिवार में सभी को एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए क्योंकि सभी एक दूसरे के पूरक होते हैं। बच्चों को मोबाइल में समय व्यतीत नहीं करने देना चाहिए ना ही खुद को मोबाइल के वसीभूत होना चाहिए। आज के दौर में कोई भी किसी के लिए समय नहीं निकालता है यह जिंदगी छोटी है हमें आपस में मिलना चाहिए बातें करनी चाहिए एक दूसरे के सुख दुख को शेयर करना चाहिए। जिंदगी में कुछ व्यक्ति ऐसे होने चाहिए जिनके कंधों पर हम रो सके क्योंकि रोने से हमारी मन की पीड़ा बाहर निकल जाती है।
श्रीमद् भागवत कथा: सुख और दुख जीवन के पहलू है जो आते हैं और चले जाते हैं

